Volume : V, Issue : VIII, September - 2015 “आधुनिक युग में स्वामी विवेकानन्द के नाद संबंधी विचार“धीरेन्द्र सिंह , जितेन्द्र कुमार शर्मा By : Laxmi Book Publication Abstract : नादब्रह्म, शब्दब्रह्म का योग का शास्त्रों में विशेष वर्णन है। नाद, ब्रह्म से संगीत उपजा, सात स्वरों का आविर्भाव हुआ, यही सात लोक हैं। शब्द ब्रह्म में जप-नामोच्चार का प्रकरण आता है। यह सारा परिकर नाद योग से ही आविर्भूत हुआ है। उसमें प्रकारान्तर से हर क्षेत्र की ऋद्धियों और सिद्धियों का समावेश है। स्वामी विवेकानन्द ने परमहंस के उस सिद्धांत को सर्वत्र प्रचारित किया है जिसमें कहा गया है कि ‘‘सर्वधर्म समन्वय। वेद का प्रथम सूत्र है-‘‘नर नारायण की सेवा।’’ राष्ट्र तथा समाज की उन्नति और कल्याण के लिए सबसे अधिक आवश्यक है कि देशवासी ‘मनुष्य’ बनें। वे बराबर भगवान से यही प्रार्थना करते थे ‘‘भगवान् मेरे देश के निवासियों को मनुष्य बनाओ।’’ Keywords : Article : Cite This Article : धीरेन्द्र सिंह , जितेन्द्र कुमार शर्मा(2015). “आधुनिक युग में स्वामी विवेकानन्द के नाद संबंधी विचार“. Indian Streams Research Journal, Vol. V, Issue. VIII, http://isrj.org/UploadedData/7497.pdf References : - सत्यार्थ प्रकाश, पृ.15
- भागवत मुहुर्त, श्री अरविन्द आश्रम पाॅण्डिचेरी
- सत्यार्थ प्रकाश, पृ.15
- विवेकानन्द साहित्य, खण्ड-4, पृ.29-31
- भागवत मुहुर्त, श्री अरविन्द आश्रम पाडण्डिचेरी
- सत्यार्थ प्रकाश, पृ.15
- ईस्टर्न एण्ड वेस्टर्न डिसाइपल्स, लाइफ आॅफ स्वामी विवेकानन्द, पृ.197, 1974
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- माताजी, प्रार्थना और ध्यान, 2004
- सत्यार्थ प्रकाश, पृ.15
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- सत्यार्थ प्रकाश, पृ.15
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