Volume : VI, Issue : III, April - 2016 चाक’ उपन्यास नारी विद्रोह का स्वरसुमन, - By : Laxmi Book Publication Abstract : समकालीन हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट विषय, विशिष्ट समाज अथवा विशिष्ट वर्ग को विमर्श केन्द्र में रखते हुए सशक्त लेखन हुआ है। श्रेष्ठ साहित्य वही होता है जो अपने भीतर बाहर सार्वभौमिक सन्देशांे, मूल्यों तथा उद्देश्यों को समाहित किये रखता है क्योंकि साहित्य समाज का दपर्ण होता है तथा वह सार्वकालिक, सार्वदेशिक एवं सार्वभौमिक होता है। Keywords : Article : Cite This Article : सुमन, -(2016). चाक’ उपन्यास नारी विद्रोह का स्वर. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. III, http://isrj.org/UploadedData/8160.pdf References : - ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
- ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
- ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
- ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
- ‘विमर्श के विविध आयाम‘ डाॅ अर्जुन चव्हाण. वाणी प्रकाशन नई दिल्ली, प्रथम प्रकाशन-2008 पृ. 18,19,29
- हिन्दी पर्यायवाची कोश, डाॅ. भोलानाथ तिवारी,प्रभात प्रकाशन,दिल्ली,संस्करण 1999
- समकालीन हिन्दी उपन्यास,डाॅ0 सूरज पालीवाल, हीरयाणा साहित्य अकादमी,पंचकूला,प्रथम संस्करण-2004 पृ0 132
- महिला उपन्यास(21वीं शती की पूर्व संध्या के संदर्भ में) डाॅ. मधु सन्धु, निर्मल प्रकाश्न दिल्ली-110094 प्रथम संस्करण-2000 पृ. 119
- ‘चाक’ मैत्रेयी पुष्पा, राजकमल प्रकाशन ,नईदिल्ली,1997 पृ. 19,100,331,48
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