Volume : VI, Issue : V, June - 2016 ”रोग निवारण पद्धतियां: अथर्ववेद के सन्दर्भ में”वन्दना सन्त, None By : Laxmi Book Publication Abstract : भैषज्य विज्ञान के क्षेत्र में भारतवर्ष प्राचीनकाल से ही अग्रणी रहा है। अपने अद्वितीय एवं अलौकिक चमत्कारों से विश्व को प्रभावित करते हुए आथर्वण औषधि-विज्ञान विकसित होकर आयुर्वेद के नाम से रूपांतरित हुआ। Keywords : Article : Cite This Article : वन्दना सन्त, None(2016). ”रोग निवारण पद्धतियां: अथर्ववेद के सन्दर्भ में”. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. V, http://isrj.org/UploadedData/8490.pdf References : - अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- परि वः सिकतावती धनर्बहत्य क्रमीत्।
- शतस्य धमनीनां सहस्रस्य हिराणाम्।
- -अथर्ववेद 1/17/3-4
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
- अस्थुरिन्मध्यमा इमाः साकमन्ता अरंसत।
- तिष्ठेतलयता सुकम्।।
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