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Volume : III, Issue : VII, August - 2013

हिंदी के सांस्कृतिक नाटको में डॉ. राजकुमार वर्मा का स्थान

एन. व्ही. केसरकर

Published By : Laxmi Book Publication

Abstract :

प्राचीन काल से कला और संस्कृतिक का संबंध अन्योन्यश्रित है | नाट्यकला दृश्य कला होने से नाट्यकला के साथ सांस्कृति का विशेष संबंध रहा है | अपनी इसी विशेशता के कारण नाटक एक ओर वर्तमान जीवन की सांस्कृतिक चेतना को अपने में अंतर्भूत करता है, तो दूसरी ओर वर्तमान निराश, विक्षुब्ध होकर अतीत के आदर्श को जीवन और टूटते मूल्यों के समक्ष प्रस्तुत करता है | नारी सम्मान, नारी रक्षा, अतिथि सत्कार, त्यागपूर्ण बलिदान, सतीत्व आदि बातें भारतीय सांस्कृति का आधार हैं | “देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम को भी सांस्कृतिक चेतना के अंतर्गत माना हैं |” (१) सांस्कृति मे अंतर्भूत बातों के परिपेक्ष्य में हिंदी सांस्कृतिक नाट्यकला का विकास हुआ है |

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एन. व्ही. केसरकर , (2013). हिंदी के सांस्कृतिक नाटको में डॉ. राजकुमार वर्मा का स्थान . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. VII, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/2764.pdf

References :

  1. सौ. डॉ. कमल सुर्येवंशी : नाटकार डॉ. रामकुमार वर्मा पृ.८६
  2. डॉ. रामकुमार वर्मा : महाराणा प्रताप की भूमिका पृ.०१
  3. डॉ. रामकुमार वर्मा : महाराणा प्रताप की भूमिका पृ.२७
  4. डॉ. रामकुमार वर्मा : महाराणा प्रताप की भूमिका पृ.४७
  5. डॉ. रामकुमार वर्मा : महाराणा प्रताप की भूमिका पृ.५१

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