Volume : III, Issue : X, November - 2013 समकालीन हिन्दी कहानियों चित्रित समसामयिक समस्याएँअनिल सिंह Published By : Laxmi Book Publication Abstract : नगर का बृहत रूप महानगर है, जो अंग्रेजी के मेट्रो पोलिटन शब्द का पर्यायवादी है |महानगरो की चकाचौध की देखकर व्यक्ति तेजी से उस ओर खिंचा चला जा रहा है |आज स्थित यह है कि हर कों नगरों की भीड़ में सामुहित उसका एक हिस्सा बन जाना चाहता है |नगरों में रहने वालों की परिस्थिति भिन्न –भिन्न होती है |
Keywords : Article : Cite This Article : अनिल सिंह , (2013). समकालीन हिन्दी कहानियों चित्रित समसामयिक समस्याएँ. Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3249.pdf References : - महानगर की मैथिलि, कथावप - ७८ पृ १८४
- सविता बैनर्जी: जीने के लिय सारिका १९ अगस्त पृ.१४
- जिंदगी का एक दिन- मिथलेश्वर, हिन्दी कहानी १९७६ पृ २१२
- कथालेखिका, मन्नू भंडारी – डॉ. ब्रजमोहन शर्मा- पृ १०३
- तीन निगाहो की एक तस्वीर – मन्नू भंडारी पृ ३७
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