Volume : III, Issue : X, November - 2013 भारतीय साहित्य का सामाजिक सरोकार (भागवन पूरण की स्तुतियों के विशेष संदर्भ मे ) माधुरी यादव , राजेश लाल मेहरा Published By : Laxmi Book Publication Abstract : अपने रचनाकाल से ही भारतीय साहित्य मे लोकप्रिय श्रीमदभागवत पूरण मे समाज के बहुमुखी स्वरूप मे दर्शन होते है | मानव-जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं है जिसका वर्णन भागवंत मे अप्राप्त हो| इस दुष्टि से यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य मे भी सामयिक और महत्वपूर्ण है | भारतीय समाज शास्त्र के अध्ययन मे वेद पुरानादि शास्त्रों मे भी सामग्री प्राप्त की जाती है, तदनुसार अनेक ग्रंथो के सार – स्वरूप भागवत का अध्ययन सामाजिक दृष्टी से भी महत्वपूर्ण है | Keywords : Article : Cite This Article : माधुरी यादव , राजेश लाल मेहरा , (2013). भारतीय साहित्य का सामाजिक सरोकार (भागवन पूरण की स्तुतियों के विशेष संदर्भ मे ) . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. X, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3313.pdf References : - भूयादगरीयसी गुण : प्रसव : सतिनाम श्रीमदभागवन ३.२३.१०
- सती विरेंद्रचंद्र “ भारतीय संस्कृति के मूल तत्व “, राजपाल प्रकाशन दिल्ली सन १९९८ पृष्ट ५ से उद्धृत |
- श्रीमदभागवत , ७.१४.८
- श्रीमदभागवत , ७.१४.८
- श्रीमदभागवत , ३.१६.१७
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