Volume : III, Issue : VII, August - 2013 साहित्य और समाज : अन्तसंबंध प्रा.वडजे रजेंद्र कैलास Published By : Laxmi Book Publication Abstract : जिस प्रकार सामाजिक संकल्पना की पूर्ति में स्त्री और पुरुष का अन्तर्भूत होना महत्वपूर्ण माना जाता है , उसी प्रकार किसी भी देश की जनसंख्या , क्षेत्रफल उसका अभिशाप और वरदान भी हो सकता है | भारत एक विशाल देश होने से आज भी , अशिक्षा , बेरोजगारी और भुखमरी की समस्या मूँह्बाये खड़ी है | धर्म हो या संस्कृति सभी पर इसका प्रभाव परिलक्षित होता है | Keywords : Article : Cite This Article : प्रा.वडजे रजेंद्र कैलास , (2013). साहित्य और समाज : अन्तसंबंध . Indian Streams Research Journal, Vol. III, Issue. VII, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3447.pdf References : - नालंदा विशाल शब्दसागर :संपा .श्री.नवलजी –पृ .१४०७
- आधुनिक हिंदी शब्दकोश –संपा .गोविन्द चातक –पृ.६०५
- राही मासूम रजा के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन – डॉ.मुहम्मद फरीदुद्दीन –पृ.१७
- हिंदी साहित्य सामाजिक चेतना – डॉ.रत्नाकर पाण्डेय –पृ.१०
- . http:www.preservearticles.com/201103284772/literature-and-society.html
- http://pustak.org/home.php?bookid=6859
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