Volume : I, Issue : I, February - 2011 गजलकार चंद्रसेन विराटझाकीरहुसेन बी. मुलाणी Published By : Laxmi Book Publication Abstract : हिंदी मे गजल परम्परा बहुत पुरानी है| अरबी फारसी की इस विधाने संवेदना के साथ संवेदनशील व्यक्तीत्वों को अपनी ओर आकर्षित किया| भाव भावना को सुन्दर ढंग से सजाने के लिए गजल योगदान देती है, उतनी अन्य विधाए नहीं| सौन्दर्य का पान और कोमल भावना का मनोहर चित्रण केवल गजल मं संभव है| हिंदी गजलकरों ने औरों कि विधा को आपनाकर अपनी सभ्यता, संस्कार और संस्कृती का जामा पहनाया | Keywords : Article : Cite This Article : झाकीरहुसेन बी. मुलाणी, (2011). गजलकार चंद्रसेन विराट. Indian Streams Research Journal, Vol. I, Issue. I, http://oldisrj.lbp.world/UploadedData/3816.pdf References : - साये में धूप- दुष्यंतकुमार-
- चंद्रसेन विराट की प्रतिनिधी हिंदी गजले-संपा. डॉ. मधु खराटे.
- धार के विपरित- चंद्रसेन विराट.
- व्यंग ही युगबोध है- ‘इस सदी का आदमी’- चंद्रसेन विराट.
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