| Volume : VI, Issue : I, February - 2016 प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन में राज्य का स्वरूप अनुपमा आर्या, None By : Laxmi Book Publication Abstract : भारत के प्राचीन राजशास्त्रियों ने राज्य के स्वरूप का प्रतिपादन ‘सप्तांग सिद्धांत’ द्वारा किया है। हिन्दू समाज और हिन्दू राज्य के पीछे यह संकल्पना रही है कि ये दोनों सावयव हैं, इनके द्वारा राज्य की धारणा में आंगिक एकता पर बल दिया गया है। धर्मषास्त्रों, अर्थशास्त्रों और नीतिषास्त्रों में राज्य के सात अंगों का वर्णन मिलता है। राज्य के सात अंगों अथवा अवयवों की मनु, बृहस्पति, भीष्म, कौटिल्य, षुक्र आदि सभी आचार्यों ने माना है। कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में राज्य की परिभाषा करते हुए कहा हैः-
	‘‘राज्य सात अंगों अथवों तत्वों से मिलकर बना है। उसके अनुसार सात अंग अथवा प्रकृतियाँ ये हैं- स्वामी, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, दण्ड और मित्र।’’1
 Keywords :  Article : Cite This Article : अनुपमा आर्या, None(2016). प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन में राज्य का स्वरूप. Indian Streams Research Journal, Vol. VI, Issue. I, http://isrj.org/UploadedData/7880.pdf References : पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411परमात्मा षरण, ‘प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं,’ मीनाक्षी प्रकाषन, मेरठ, 1979, पृष्ठ सं.-123.डा. श्री वास्तव एंव जोषी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एवं संस्थाएं’ कृष्ण प्रकाषन मंदिर, मेरठ, 1984, पृष्ठ सं.-73।पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-316डा. विनोद सिन्हा एंव रेखा सिन्हा, ‘प्राचीन भारतीय इतिहास एंव राजनीतिक चिंतन- राधा पब्लिकेषन्स, दिल्ली, 1989, पृष्ठ सं.-411डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141परमात्मा षरण, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-346पूर्वोक्त, वही पृष्ठ सं.-64 ।पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141डा. इकबाल नारायण,‘ भारतीय राजनीतिक विचारक’, ग्रंथ विकास, जयपुर, 2001, पृष्ठ सं. -64पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140डा. हरिषचन्द वर्मा, ‘प्राचीन भारतीय सामाजिक एवं राजनीतिक विचार एवं संस्थाएं, कॉलेज बुक डिपो, नई दिल्ली, 1969, पृष्ठ सं.-189पी. रस्तोगी, पूर्वोक्त, पृष्ठ सं.-140-141पी. रस्तोगी, ‘प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन एंव स्ंस्थाएं’ सुषील प्रकाषन, मेरठ, 1986, पृष्ठ सं. 140
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